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लेखनी कहानी -07-May-2022

किसानों और मौसम का संबंध तो संसार के आरंभ से चला आ रहा है। मौसम की दिशा ही खेती को लाभकारी और विनाशकारी स्वरुप देती है। हमारी आज की कहानी भी ऐसे ही एक किसान और उसकी परिस्थितियों को दर्शाती है।


देवगढ़ गाँव में माधव नाम का एक मेहनत किसान अपनी पत्नी गौरी और दो बेटों राहुल और समीर के साथ रहता है। माधव ने शुरुआत में काफी कष्टों भरा समय देखा था। इसलिए वो चाहता था कि राहुल और समीर पढ़ लिख कर अच्छी पोस्ट पर नियुक्त हो जाएं। इस लिए उसने गांव के मुनीम देवराज के पास अपने खेतों को गिरवी रख दिया और कर्ज उठा कर दोनों को पढ़ने के लिए शहर भेज दिया।


माधव और गौरी दोनों खेत जाकर कड़ी मेहनत से खेती करते थे और खेती से जो भी मुनाफा होता। वे अपने परिवार का पालन-पोषण तथा अपने दोनों बेटो की शिक्षा पूरी कराते थे. दोनों पति पत्नी सुबह उठकर खेत में जाते और खेती का काम पूरा निपटा के शाम को घर वापस लौट आते थे। देखते ही देखते दो वर्ष बीत गए। धीरे धीरे माधव ने आधा कर्ज चुका दिया था।


इस बार माधव को फसल अच्छी होने की बहुत उम्मीदें थीं। उसने और गौरी ने मेहनत भी बहुत ज्यादा की थी। ताकि इस बार कर्ज की बची हुई रकम एक साथ चुका दें। लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था। फ़सल पकने की कगार पर पहुंच चुकी थी कि अचानक एक दिन पूरे गांव में मूसलाधार बारिश होने लगी जो शाम तक बदस्तूर जारी रही। माधव और गांव के सभी किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलें और बागबानी पूरी तरह से तबाह हो गई थी। बदस्तूर जारी रहने की वजह से सारे खेत जलमग्न हो गए थे। कई जगहों पर घुटनों तक कीचड़ ही कीचड़ भरा पड़ा था। गेहूं के साथ साथ  गन्ना, केला और सब्जी की खेती को भी काफी तादाद में नुकसान हुआ था।


"यह सब क्या हो गया माधव? अच्छी फसल देख कर मैंने तो अपनी बेटी की शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं। सोचा था कि फसल बेचने से जो धन प्राप्त होगा। उससे अपनी बेटी को खुशी खुशी विदा कर दूंगा लेकिन?" गांव के ही एक किसान और माधव के प्रिय मित्र मदन ने घबराहट भरे स्वर में कहा।


"अब क्या कर सकते हैं मदन? सोचा तो मैंने भी था कि इस बार की फसल से ज्यादा मुनाफा कमा कर कर्ज चुका दूंगा और खेतों को मुक्त करवा लूंगा। लेकिन कुदरत को शायद हम किसानों की खुशहाली से पता नहीं क्या बैर है जो हमेशा हमारी मेहनत ऐसे ही बर्बाद हो जाती है।" माधव ने मायूस होते हुए कहा।


समय अवधि पूरी होने पर भी बाकी कर्ज ना चुका पाने पर माधव के आधे से ज्यादा खेतों पर मुनीम देवराज ने कब्जा कर लिया। मदन और एक दो और किसानों को भी इस मौसमी मार की वजह से अपने खेतों से हाथ धोना पड़ा। मदन को अब सारी उम्मीदें राहुल और समीर पर थी कि वो दोनों अच्छी जगह नौकरी लग कर उनके जीवन में खुशियां लेकर आएंगे।

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10 Comments

Neha syed

08-May-2022 09:58 PM

Very nice

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Fareha Sameen

08-May-2022 08:44 PM

Nice

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Farida

08-May-2022 06:36 PM

Well done

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